क़ुरआने मजीद के बारे में शिया मराजेय,ओलमा और फुक़ाहा का अक़ीदा :डाक्टर कल्बे सिब्तैन नूरी

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    शुरू से लेकर आज तक अज़ीम शिया मराजेय , फ़क़ीहों और मुजतहिदीन का अक़ीदा जो हमारी पाये की किताबों में महफूज़ है वो यही है कि *हर मुसलमान का क़ुरआन एक है और हम बार बार ये एलान कर चुके हैं कि हम उसी दो दफ़्तियों वाले क़ुरआन पर जो मुसलमानों के हाथों में मौजूद है ईमान रखते हैं और किसी भी तरह का शक नहीं करते । हम इसी क़ुरआन को अल्लाह का कलाम , रसूल का एजाज़ , इस्लाम की सच्चाई का निशान और सभी मुसलमानों के लिये वाजिबुल अमल समझते हैं*
    हर मुसलमान का जो क़ुरआन है वही हमारा भी क़ुरआन है और इसमें न तो एक आयत की कमी हुई है और न ही एक आयत की ज़्यादती । जिस शक्ल में पैग़म्बर पर नाज़िल हुआ बिल्कुल उसी शक्ल में आज तक मौजूद है । शेख़ सदूक़ रह , शेख़ तूसी रह , सब का यही नज़रिया और अक़ीदा है
    *हवाले* : (1) रिसालये एतेक़ादिया , पेज न 93 , प्रिंटेड क़ुम , ईरान
    (2) अल बयान फ़ी तफसीरुल क़ुरआन , आयतुल्लाह खुई रह , पेज न 197.
    (3) तफ़सीर ए नमूना , जिल्द 11 , पेज 45 .
    दुनिया भर के हर शिया का ईमान और अक़ीदा यही है कि मौजूदा क़ुरआन हर तरह की तहरीफ़ , तब्दीली और change से पाक है । अल्लाह ने इसकी हिफाज़त की ज़िम्मेदारी ली है और न एक आयत verse की कमी हुई है न एक आयत verse का इज़ाफ़ा
    इससे हट कर जो बात करे वो शिया अक़ाएद और नज़रियात से बिल्कुल जाहिल होगा या अपने को बचाने की एक और घटिया चाल चल रहा होगा । क़ुरआन की कुछ आयतों को out of context पेश करके ग़लतफ़हमी पैदा करने की कोशिश हर ज़माने में की गई पर अफसोस ये है कि अपने नाम के साथ *रिज़्वी* लगाने वाला एक शख्स ये कोशिश कर रहा है । बहरहाल , हर इंसान अपनी आख़िरत और न ख़त्म होने वाली ज़िंदगी को चाहे आबाद करे चाहे बर्बाद कोई दूसरा क्या कर सकता है …… वस्सलाम : *डाक्टर कल्बे सिब्तैन नूरी , वहदत पब्लिकेशन्स , जौहरी मोहल्ला लखनऊ* 11 मार्च 2021 , शबे मेराज की तमाम हक़ीक़ी अहले ईमान को मुबारकबाद

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