शिक्षा के बहाने स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक।

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    यूं तो यह ऐसा दौर चल रहा है कि पिछले 1 साल से इंसान की जिंदगी पूरी तरीके से नरक बन गई है इंसान परेशान है स्थिति डांवाडोल है कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या होगा आने वाला समय कैसा होगा। कोरोनावायरस के साथ-साथ महंगाई, रोजगार, व्यवसाय और आर्थिक स्थिति ने इंसान को खून के आंसू रुला दिया है। मगर शायद जिम्मेदारों की आंखों पर गुलाबी रंग का चश्मा चढ़ा हुआ है।
    वैसे भी पिछले कुछ सालों से सर्जिकल स्ट्राइक में महारत रखने वाले लगातार सर्जिकल स्ट्राइक कर रहे हैं। कभी जीएसटी सर्जिकल स्ट्राइक, कभी नोटबंदी सर्जिकल स्ट्राइक, कभी महंगाई सर्जिकल स्ट्राइक, कभी किसान सर्जिकल स्ट्राइक, कभी सीएए एनआरसी सर्जिकल स्ट्राइक, कभी चुनाव सर्जिकल स्ट्राइक, कभी वैक्सीन सर्जिकल स्ट्राइक, कभी चिकित्सा व्यवस्था सर्जिकल स्ट्राइक और अब सरकार ने शिक्षा सर्जिकल स्ट्राइक भी कर दिया है। घुस के मारा।
    आज हर इंसान बस एक ही बात को लेकर परेशान है कि उसकी जिंदगी कैसे चलेगी आने वाले समय में उसे किन चीजों का सामना करना पड़ेगा? 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण जिन स्थितियों का सामना करना पड़ा था उसे किसी तरह पार पाने की उम्मीद के साथ जनवरी में लोगों के अंदर यह आस जगी थी कि शायद अब स्थिति कुछ बेहतर हो जाए लेकिन मार्च से फिर एक बार स्थिति की पुनरावृत्ति होने से अब लोग परेशान हैं कि अगर स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में क्या होगा।
    लोग अपना रोजगार खो देने से, पेट्रोल डीजल का दाम बढ़ जाने से , व्यवसाय खत्म हो जाने से, महंगाई बढ़ जाने से, अपने परिचितों और घरवालों को खो देने से बहुत खराब मानसिक स्थिति में हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में प्राइवेट अनऐडेड स्कूल एसोसिएशन अभिभावकों का मजाक उड़ा रहा है और सरकार भी दबाव में आकर पूरा साथ दे रही है।
    शिक्षा की चिंता वाकई वाजिब भी है। कोरोना वायरस का भारत की शिक्षा पर बड़ा असर पड़ा है। मगर छात्र एवं छात्राएं शिक्षा तभी ग्रहण करेंगी जब जिंदा रहेगी घर में लोग स्वस्थ होंगे जेब में पैसा होगा। तभी अभिभावक भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं।
    माननीय मुख्यमंत्री महोदय से शिकायत करने के बाद ऑनलाइन क्लास बंद करने का फरमान जारी हुआ था लेकिन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा सरकार को चेतावनी देने और दबाव बनाने के बाद सरकार ने ऑनलाइन क्लास कराने की इजाजत दे दी। जो किसी भी प्रकार उचित नहीं है और निंदनीय है। कायदे से तो सरकार को 30 जून तक पूरी तरीके से ऑनलाइन क्लासेज वगैरह बंद कर देनी चाहिए फिर जुलाई से जब स्थिति नियंत्रण में होती तो ऑनलाइन क्लास प्रारंभ किए जाते।
    कुछ निजी स्कूल मीटिंग एप्लिकेशन जैसे जूम, वाइज़ एप्प आदि के जरिए पढ़ा रहे हैं। लेकिन एक सर्वे के अनुसार, हर पांच में से दो माता-पिता के पास बच्चों की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जरूरी सामान ही मौजूद नहीं हैं, बल्कि समस्या ये भी है कि इस समय अधिकतर लोग घर से बैठे ऑफिस का काम कर रहे हैं। ऐसे में या तो उनके बच्चे की पढ़ाई का नुकसान होगा या उनके काम का।
    दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि 6 इंच के मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास कराना सिर्फ माता-पिता को धोखा देना है और वह स्कूल इसलिए कर रहा है ताकि अभिभावकों से वह पूरी फीस वसूल सके जैसा कि पिछले साल भी देखने में आया के सभी स्कूलों ने दबाव बनाकर अभिभावकों से फीस वसूल की। जिन अभिभावकों ने फीस नहीं जमा की बहुत से स्कूलों ने उनके बच्चों के परीक्षा परिणाम नहीं दिए और लगातार फीस के लिए कॉल और मैसेज करते रहे यह भी एक शोषण और कष्ट देने का तरीका है।
    ऑनलाइन क्लास के नाम पर हो क्या रहा है खासतौर से कक्षा 5 या कक्षा 6 तक के बच्चों को सिर्फ और सिर्फ फोटो भेज दिए जाते हैं क्वेश्चन के, एक्सरसाइज के, डायग्राम्स के, बच्चे को उसको बनाकर के पोस्ट करना होता है यह किस तरह की ऑनलाइन क्लासेस हैं।
    सरकारों को भी इस चिंता के बारे में पता है लेकिन सही फैसले नहीं ले पा रही है।
    कोरोना के संक्रमण काल में लाखों लोगों ने अपनी जान से हाथ धो दिया तो ऐसे में अगर भारत के लगभग 26 करोड़ छात्र चार छह महीना नहीं पढेंगे तो कौन सी कयामत आ जाएगी।
    प्राइवेट एसोसिएशन का अध्यक्ष कहता है कि ऑनलाइन सामानों की बिक्री हो रही है खाने के चीजें ऑनलाइन बिक रही हैं तो ऑनलाइन क्लास क्यों नहीं हो सकती! पता नहीं किसने ऐसे संवेदनहीन व्यक्ति को एसोसिएशन का अध्यक्ष बना दिया जिसको इतना भी नहीं पता है कि ऑनलाइन जो खाद्य पदार्थ है जो सामग्रियां मिल रहीं है वह जीविका के लिए जरूरी है इंसान को जिंदा रहने के लिए जरूरी है। चार छः महीने के लिए अगर शिक्षा रोक दी जाएगी तो कयामत नहीं आ जाएगी।
    दूसरी बात ऑनलाइन परचेसिंग का जो तरीका है उसमें 4 से 6 घंटा नहीं बैठना पड़ता है कुछ सेकेंड और मिनट में इंसान ऑर्डर कर देता है लेकिन ऑनलाइन क्लासेस जो 4 से 6 घंटे चल रही है उससे बच्चों की आंखों को काफी नुकसान पहुंच रहा है बच्चों में आंखों की रोशनी कम हो रही है सरकार जिम्मेदार है सरकार को इस बात को समझना चाहिए यह प्राइवेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और यह एसोसिएशन यह सब तो व्यवसाय कर रहे हैं इनको तो फीस चाहिए यह सब इंसानियत के दुश्मन बन चुके हैं।
    सरकार संवेदनशील होने का परिचय दे और इस पर बहुत ग़ौर और फिक्र करके पुनर्विचार करके अभिभावकों के हक़ में फैसला सुनाए।
    जयहिंद।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    ब्यूरो चीफ दि रिवोल्यूशन न्यूज़

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