लोकतांत्रिक व्यवस्था को निरंतर बर्बाद कर रहा है गुंडा तंत्र

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    जब गीदड़ की मौत आती है तो शहर की तरफ भागता है यह कहावत तो सुनी थी लेकिन भ्रष्ट और घमंड में चूर पार्टी के लिए भी कुछ ऐसी तस्वीर शायद दिखाई दे रही है। एक राज्य से केंद्र की तरफ गीदड़ भागता हुआ नजर आया और फिर वहां पहुंच कर उसने धीरे-धीरे अपना साम्राज्य स्थापित करने का प्रयास किया और उसने ऐसा साम्राज्य स्थापित किया कि हर तरफ गीदड़ की हुआं हुआं की आवाज आ रही है और जब एक गीदड़ बोलता है तो सारे गीदड़ उसके पीछे उसी आवाज में बोलने लगते हैं यही तो इस देश में हो रहा है कि एक तरफ से जब कुछ बोला जाता है तो उस को मानने वाले सारे उसी की आवाज में आवाज मिला कर बोलने लगते हैं।
    ऐसा ही तो हमारे देश में भी हो रहा है लॉकडाउन, कोरोना संक्रमण, बेरोजगारी, व्यवसाय का बंद होना, लोगों की मौतें इन सब से ध्यान हटा करके कुछ ना कुछ समस्याओं को खड़ा कर दिया जाता है। फिर सबका ध्यान उसी तरफ चला जाता है।
    ताजा घटनाक्रम बंगाल का है। पश्चिम बंगाल की राजनीति चुनाव के बाद ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद एक बार फिर से चरम पर है। सीबीआई के बहाने एक बार फिर से पश्चिम बंगाल की सरकार और केंद्र आमने-सामने आ गए हैं। यह कोई नई बात नहीं है पिछले कई वर्षों से ऐसी तस्वीरें देखने में आ रही है।
    जहां जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है उस राज्य का केंद्र से कोई झगड़ा नहीं है। लेकिन जहां गैर भाजपा सरकार है वहां पर केंद्र सरकार की दादागिरी और केंद्र सरकार से तनाव हमेशा दिखाई देता है। चाहे वह दिल्ली हो या पंजाब और या फिर अब बंगाल।
    इस बार जो हंगामा किया गया है उसकी वजह बनी है पश्चिम बंगाल के मंत्री की गिरफ्तारी। इस गिरफ्तारी के लिए सीबीआई ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी की मंजूरी तक लेनी जरूरी नहीं समझी।
    सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डाक्टर एपी सिंह के अनुसार इस तरह की गिरफ्तारी में विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी लेना बहुत जरूरी है। सीबीआई को इस गिरफ्तारी से पहले पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी नियमानुसार लेनी चाहिए थी। भारतीय संविधान इस तरह से किसी भी मंत्री की गिरफ्तारी की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई विधानसभा का सदस्य होता है तो उसके लिए संविधान में यही नियम है कि पुलिस या सीबीआई उसकी गिरफ्तारी से पहले विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी हासिल करे। इसके बाद ही उसकी गिरफ्तारी को सही कहा जा सकता है।
    यही कारण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी इसको केंद्र के इशारे पर सीबीआई द्वारा उठाया गया एक कदम बता रही हैं। जो सही भी है।
    सीबीआई द्वारा नारदा स्टिंग मामले में पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत चटर्जी, सोवन चटर्जी और मदन मित्रा को गिरफ्तार किया और एक बवाल मच गया। इसके खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सीबीआई दफ्तर पहुंचीं और कहा कि उन्‍हें भी गिरफ्तार कर लिया जाए। गौरतलब है कि फिरहाद हकीम के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीश धनखड़ ने मंजूरी दी थी। यहां राज्यपाल की भूमिका भी संदिग्ध दिखाई दे रही है। मजबूत लोकतंत्र वही होता है जहां जनता के द्वारा चुनी गई सरकार को खुलकर के हुकूमत करने की आजादी दी जाए लेकिन यदि केंद्र सरकार अपनी हार के बाद चुनी की सरकार के लिए वक्त वक्त पर परेशानी खड़ी करेगी और भेदभाव की राजनीति करेगी तो देश का अमन और सुकून खत्म हो जाएगा
    आज भारतीय जनता पार्टी के द्वारा राजनीति की परिभाषा बदल दी गई है। लेकिन यह भी समझ लेना चाहिए कि यह परिभाषा तभी तक रहेगी जब तक इनकी अपनी सरकार रहेगी सरकार बदलते ही इनके लिए भी परिभाषा बदल जाएगी इस बात का भी सरकार को ध्यान रखना चाहिए।
    यदि लंबे समय तक राजनीति करती हैं और राजनीति के मैदान में अपनी उपस्थिति कायम रखनी है तो सभी पार्टियों को लेकर के और सभी राज्यों की अन्य दलों की सरकारों को साथ लेकर चलना होगा वरना अस्तित्व ख़त्म होने में देर नहीं लगती इसका ताजा सबूत जनता और सरकार के सामने है कि पश्चिम बंगाल में दशकों राज करने वाली ज्योति बसु की सरकार अपना अस्तित्व खो चुकी है पूरे देश में राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज शून्य तक पहुंच चुकी है।
    अभी भी वक्त है कि सरकार अपने विचारों और कार्य करने की प्रणाली पर गौर करें वरना 2014 से 2022 या 2025 तक का समय एक इतिहास बन जाएगा।
    जयहिंद।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    ब्यूरो चीफ दि रिवोल्यूशन न्यूज़

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