विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वेविनार का आयोजन।

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    जैसा कि विदित है कि हर वर्ष मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। अतः भारत समेत विश्व के कई अन्य देषों मे भी आज अर्थात 5 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया। आज के इस अवसर पर सबसे महत्वपूर्ण तथा ऐतिहासिक आयोजन एक राष्ट्रीय अस्थमा वेविनार रहा इस वेविनार का आयोजन लंग केयर फाउंडेषन संस्था द्वारा किया गया। इस वेविनार में किंग जार्ज चिकित्सा विष्वविद्यालय के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष व इण्यिन कालेज आफ एलर्जी अस्थमा एण्ड एप्लाईड इम्यूनोलोजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त, जयपुर से डा0 वीरेन्द्र सिंह, तथा दिल्ली से जी0सी0 खिल्लनानी मुख्य वक्ता थे। विश्व में यह पहला अवसर है कि किसी चिकित्सा विषय में हिन्दी भाषा में वेविनार आयोजित किया गया। भारत में यह पहला वेविनार था जो किसी चिकित्सकीय विषय पर रोगियो के लिए आयोजित किया गया। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि हिन्दी भाषा को समझने वाले 100 करोड़ से ऊपर लोग है। हालांकि वे सभी हिन्दी को पूरी तरह पढ़, लिख या बोल नही सकते। ज्ञात रहे कि डा0 सूर्यकान्त का हिन्दी भाषा से लगाव बहुत पुराना है, तथा हाल ही में उन्हें केन्द्रीय हिन्दी सेवा संस्थान द्वारा एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गयी है। डा0 सूर्यकान्त ने इस वेविनार मे बताया कि जिस प्रकार छुई मुई के पौधे के पत्ती छूने पर वे सिकुड़ जाती है उसी प्रकार अस्थमा के रोगी की सांस की नलिंया धूल,
    धूआं, गर्दा व एलर्जी के तत्वों के सम्पर्क में आने पर सिकुड़ जाती है। जिससे अस्थमा रोगी की सांस फूलने लगती है। भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित है तथा उ0प्र0 मे भी लगभग 65 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित है। बच्चों मे अस्थमा खासतौर पर पिछले 20 वर्षो मे काफी बढ़ा है जिसका प्रमुख कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण तथा बच्चो की जीवन शैली व खानपान है। डा0 सूर्यकान्त ने विषेष रूप से बताया कि अगर आप अपने बच्चो को अस्थमा से बचाना चाहते है तो बच्चो को वेजिटेबल बाॅय बनाये न कि बर्गर बॅाय। उन्होने बताया कि फास्ट फूड, प्रजरप्रवेटिव युक्त खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिन्क, आईषक्रीम, अण्डा, मांस , मछली जैसे खाद्य पदार्थ अस्थमा को बढ़ावा देते है। जबकि गुनगुने व गरमपेय, ताजा सब्जियां व फल जिनमें की एण्टी अॅाक्सीडेन्ट ज्यादा मात्रा मे होते है। यह सभी अस्थमा रोगियो के लिये फायदेमन्द होते है। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि कोरोना के इस काल मे प्रदूषण कम हुआ है लेकिन इस समय नये नये पराग कण वातावरण मे आ रहे है। यह परागकण भी सांस के साथ अस्थमा रोगी की सांस की नलियों मे जाते है तथा उसमे सूजन व सिकुड़न पैदा करते है। डा0 सूर्यकान्त ने आगे बताया कि ऐसे अस्थमा के रोगी जो नियमित इन्हेलर नही लेते है एवं जिनका अस्थमा नियंत्रण मे नही है उनको कोरोना का संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है तथा संक्रमण की गम्भीरता एवं कोविड न्यूमोनिया होने का खतरा भी ज्यादा रहता है। अतः कोरोना के इस संक्रमण काल मे सभी अस्थमा रोगियो को अपने चिकित्सक के परामर्ष से इन्हेलर व अन्य दवायें नियमित रूप से लेनी चाहिए तथा कोरोना बचाव के अन्य तरीके जैसे अभिवादन के लिए नमस्ते, बार बार हाथ धोना, शारीरिक दूरी बनाये रखना, फेस मास्क लगाये रखना तथा लॅाकडाउन के नियमों का पालन करते रहना चाहिए।
    इस वेवीनार में एम्स दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन के पूर्व विभागाध्यक्ष डा0 खिल्लानी ने इन्हेलर लेने के सही तरीके को समझाया तथा डा वीरेन्द्र सिंह ने अस्थमा क्रन्ट्रोल पर जोर दिया वेवीनार का संचालन लंग केयर फाउन्डेषन के डा0 अरविन्द कुमार, राजीव खुराना तथा अभिषेक खुराना ने किया। इस वेवीनार का भारत के 20 से अधिक राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेषो के अस्थमा रोगियो एवं उनके परिजनो ने भाग लिया तथा अपने प्रशन भी पूछे।

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