लेखक एस.एन.लाल
एक अन्जानसा .’शख़्स जब कश्मीर से गुज़रा तो खुदाबख्श और अल्लाह रक्खा कहलाया, पंजाब क्षेत्र में पहुंचा तो उसे ईश्वरी सिंह से जाना गया, मध्य भारत में पहुचा तो लोग उसे भगवानदास कहने लगे, जब भारत में और दक्षिण की तरफ बढ़ा तो लोग उसे गॉड कहने लगे। इस शख़्स को अपने किसी नाम पर कोई आपत्ति नहीं थी, क्योंकि सभी इन्सान उसे अपनी-अपनी भाषा और क्षेत्र के अनुसार पुकार रहे थे। वह सबका प्रिय बन गया। वह भी खुश था…, उसने खुद को कभी कोई नाम न दिया, ये नाम उसे उसके सबका भला करने और अच्छे कार्यो की वजह से इन्सानों ने दिये। एस.एन.लाल
लेकिन फिर इन्ही इन्सानों के बीच कुछ हैवानों का जन्म हुआ, जिनमें कुछ अपने खुदाबख्श और अल्लारक्खा को अच्छा कहने लगे, कुछ भगवानदास को, कोई गॉड को, और ईश्वरी सिंह को। जबकि वह अपनी पवित्र पुस्तकों के द्वारा समझाता है। लेकिन हैवानरुपी लोग उससे ज़्यादा माहिर बहकाने में निकले। वह जो चाहे कर सकता है, लेकिन वह हैवानों पर भी ज़ुल्म करना नहीं चाहता।
उसी का मकान गिराकर कर, उसी जगह पर उसी के दूरे नाम पर मकान बनवाने के लिये, इन हैवानों ने इन्सानों की बलि दी। वह जो भी हो खुदाबख्श, अल्लारक्खा, भगवानदास, गॉड हो या ईश्वर वह इन अज्ञानियों की बेवकूफी पर हसंना और अपने नाम पर बहने वाले खून पर आंसू बहाता…! लेकिन हैरत ये है कि किसी सत्तालोभी अज्ञानियों को वह नज़र नहीं आता…क्योंकि वह केवल स्वच्छ हृदय वालों को नज़र आता है, धर्म के नाम पर पाखंड करने वालों को नहीं…वह एक न एक दिन इन्सनियत के खून का बदला लेगा है…, जो भी गुनहगार होगा, उसकी अदालत में छोड़ा नहीं जायेगा…, यहां चाहे बेकसूर को जले में डालदो और कसूरवार को साथ भोजन कराओ….! देर है अन्धेर नहीं ! एस.एन.लाल