हैदराबाद की AIMIM उन सभी राज्यों में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है जहाँ विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। बिहार में पांच और महाराष्ट्र में दो सीट , गुजरात में जिला पंचायत सदस्य जितने के बाद ओवैसी के हौंसले बुलंद हो गये थे। यही वजह है कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में जोश से उम्मीदवार उतारे। मगर उनके सभी उम्मीदवारों की ज़मानतें ज़ब्त होने की सूचना है। पश्चिम बंगाल में ओवैसी की पार्टी को महज़ 0.01 फीसदी वोट ही हासिल हुआ है।
ओवैसी ने पश्चिम बंगाल की 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था ।लेकिन उनकी पार्टी ने सिर्फ सात सीटों इटाहार, जलांगी, भरतपुर, मलातीपुर, रतुआ, सागरदिघी और आसनसोल में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे. इन सभी सीटों पर ओवैसी के उम्मीदवारों की ज़मानत भी नहीं बचा सके।
ओवैसी ने जिन सीटों को चुना था उनमें लगभग 60 से 70 फीसदी मतदाता मुसलमान हैं मगर इन मतदाताओं ने ममता बनर्जी पर भरोसा किया और ओवैसी की पार्टी को नकार दिया ओवैसी ने 40 से 45 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन सिर्फ इसीलिये बनाया था क्योंकि बंगाल की 57 विधानसभा सीटों में 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। इसी वजह से ओवैसी ने फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से गठबंधन की कोशिश की लेकिन आख़री वक्त में सिद्दीकी ने ओवैसी की जगह वाम दल और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान किया