जिसने न सहा हो दर्दे ख़िज़ाँ,गुलज़ार पशेमाँ क्या होगा?
हर शाख़ पे उल्लू बैठा है,अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा?
2014 वह भाग्यशाली दिन (जनता के लिए नहीं) जिस दिन इस बेबस और बेकस देश की संसद में माननीय महोदय के चरण पड़े। चरण क्या पड़े किस्मत बदल गई (देश की नहीं)। जो जमां पूंजी थी वह बेकार हो गई और इंसान लाइन में लग गया। पूरे देश में क़तारें नजर आने लगी। कहीं जमा करने की लाइन कहीं कहीं गुलाबो बी (2000 के नोट) को पाने की लाइन। माब लिंचिग शुरू हुई तो मारने के लिए भीड़ और लाइन। अचानक लाकडाउन की घोषणा से एटीएम पर लाइन। जनाब को लाइन लगवाने में महारत हासिल है।
जो कसर बाकी थी वह शराब की दुकानों को खोल कर पूरा कर दिया। हर तरफ एक बार फिर लाइन ही लाइन नज़र आ रही है।
कहा जा रहा है कि शराब से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। लेकिन वास्तव में यह शराब की लत ना केवल व्यक्ति को आर्थिक रूप से कमजोर करती है। बल्कि उसके रिश्ते भी ख़राब करती है।
शराब पीने के बाद व्यक्ति लड़खड़ाने लगता है। वह पूरी तरह से अपनी सुध बुध खो बैठता है। इस मदहोशी में वह अपने सामाजिक सम्मान के साथ अपनी सेहत भी खो बैठता है। लेकिन सरकार और बिग बॉस को जनता के सम्मान और सेहत से क्या लेना-देना!
वैसे जिस तरह से 40 दिन से लाकडाउन में बंद जनता परेशान थी उस ग़म को कम करने के लिए जहांपनाह ने शराब की व्यवस्था कर दी और संदेश दे दिया कि शराब पीकर ग़म को भुलाया जा सकता है।
अब बस इंतेज़ार है कि इन शराब पीने वालों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कब होगी, ताली और थाली द्वारा इनका सम्मान कब किया जायेगा। वैसे बादशाह सलामत द्वारा शराबखाने खोलने के बाद जो व्यक्ति नहीं पियेगा उसे देशद्रोह की श्रेणी में रखा जायेगा क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था का सवाल है!
इस वैज्ञानिक सरकार ने पहले भी कई चीजें ईजाद की हैं जैसे नाले से गैस। अब नई चीज पता चली कि भ्रष्टाचारियों एवं भगोड़ों के लोन माफ करने , आरबीआई से पैसा लेने, विश्व बैंक से ऋण लेने, जनता से भीख मांगने से अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं होगी। हां शराब की दुकानों को खोलकर अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है।
आज की रात घरों पर भारी रहेगी क्यूंकि आज चालीस दिनों बाद जो ये मदिरा लोगों के पेट में पहुंचेगी तो तांडव तो बनता है! बगैर नशे के तो लोग घरों के बाहर निकल रहे थे और पुलिस उपहार देकर वापस कर रही थी लेकिन आज तो अब हम ही जनता हम ही पुलिस वाली बात होगी क्योंकि हाथों में शराब होगी।
यह क्या तमाशा है कि आप कोरोनावायरस के इलाज के लिए डॉक्टर पर्याप्त मात्रा में भर्ती नहीं कर पा रहे तो दारू बन्द करवा दोगे, जैसे भ्रष्टाचार खत्म न कर पाओ तो नोटबन्दी कर दो, छेड़छाड़ न रोक पाओ तो रोमियो को बन्द कर दो आदि आदि। अमां ये तो वही बात हुई कि जब उन्होंने जाँचा परखा और पाया कि जनता नाकों चने चबा रही है तो चने की पैदावार पर प्रतिबंध लगाया।
अमां हंसो नहीं सरकार का खुल्ला आफर समझो।
शराब बुरी चीज है आओ खतम करें।
कुछ तुम ख़तम करो कुछ हम खतम करें।।
जयहिंद।
सैय्यद एम अली तक़वी
syedtaqvi12@gmail.com