20मई 2020
राजधानी लखनऊ के नगराम के मज्झूपुर गांव निवासी रामकुमार पिछले 15 वर्षों से मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी करते थे। इस दौरान वह परिवार के शादी-कार्यक्रम में ही गांव आए, लेकिन कोरोना लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी बदल दी और उन्हें परिवार सहित गांव लौटने को मजबूर कर दिया। हालांकि गांव लौटने से पहले उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मुंबई से नासिक तक पैदल चले। नासिक पहुंचते ही बैग और पैसे चोरी हो गए।
इसके बाद बस में बैठने के लिए लोगों से पैसे उधार मांगे, लेकिन बस चालक ने लखनऊ की जगह इंदौर में उतार दिया। किसी तरह उन्होंने ट्रक, ट्रैक्टर की मदद से रविवार को आगरा एक्सप्रेस-वे पहुंचे। जहां टोल प्लाजा पर पुलिस ने उन्हें उतारकर परिवहन विभाग की बस द्वारा शंकुतला मिश्रा विश्वविद्यालय पहुंचाया। करीब आठ दिनों की लंबी यात्रा के बाद उनके चेहरे पर थकान और आंखों में आंसू छलक रहे थे।