21 मई 2020
भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी करके नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है। इस बीच, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को नेपाल के इस दावे को एक बार फिर दोहराया है। इस संबंध में एक सांसद द्वारा सवाल पूछे जाने पर ओली ने कहा कि इन क्षेत्रों को वापस लाने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जाएंगे।
केपी शर्मा ने कहा, “जिम्मेदार सरकार के मुखिया के रूप में, मैं सदन को बताना चाहता हूं कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के मुद्दे को छोड़ नहीं जाएगा। इस संबंध में ठोस निष्कर्ष निकाला जाएगा. हम इस मुद्दे को धूमिल नहीं होने देंगे और राजनयिक वार्ता के जरिए इसका समाधान किया जाएगा तथा क्षेत्रों को फिर से हासिल किया जाएगा।
भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल के कैबिनेट ने एक नया राजनीतिक मानचित्र (नक्शा) स्वीकार किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार गयावली ने इस कदम की घोषणा से हफ्तों पहले कहा था कि कूटनीतिक पहलों के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं।
नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल की सीमा में लौटाने की मांग करते हुए संसद में विशेष प्रस्ताव भी रखा था।
गौरतलब है कि लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है। भारत और नेपाल, दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं। भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है, वहीं नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है।
गयावली ने भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा को पिछले हफ्ते तलब किया था और लिपुलेख को जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग के निर्माण के खिलाफ विरोध जताने के लिए कूटनीतिक नोट सौंपा था।