10/06/2020
नयी दिल्ली. पाकिस्तान के कारगिल युद्ध के बाद अब शायद चीन भी वैसी ही स्तिथियाँ पैदा कर रहा है। सूत्रों की ख़बर है कि चीन इस बार पूर्वी लद्दाख से अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की टुकड़ियों को भारतीय सीमा के 3 की. मी अंदर तक भेज चूका है। इतना ही नहीं चीन ने अब गैल्वान नदी और पैंगोंग झील क्षेत्रों में अपना कब्ज़ा कर रखा है जिस पर भारतीय सेना ने दशकों से अपना दावा कर रखा है। अगर ऐसा हुआ तो अब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO)हाईवे पर अपना कब्जा कर सकता है और भारत और हमारी सेना का कनेक्शन काराकोरम पास के ‘सब-सेक्टर नॉर्थ’ (SSN) से काट भी सकता है।
ख़बर यह भी है पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक जिन्होंने श्योक नदी के संगम पर गैलवान नदी घाटी के मुहाने पर खुद को स्थापित कर लिया है और यह DSDBO सड़क से सिर्फ एक-डेढ़ किलोमीटर की ही दूरी पर है। उक्त घटना से यह समझा जा सकता है कि चीन और इसके सैनिक स्पष्ट रूप से (DSDBO) हाईवे सड़क पर स्थायी रूप से हावी होने का इरादा रखता है।इसीके चलते अब चीनी सेना भारतीय ‘पैट्रोलिंग पॉइंट्स’ (PPs) पर भारतीय सेना के दखल को रोक सकती है। इनमे पैट्रोलिंग पॉइंट्स 14, 16, 18 और 19 प्रमुख हैं। यह भी विदित हो कि वर्ष के इस समय में, जब चीनी घुसपैठ का खतरा सबसे अधिक हो गया है।वहीं कोरोना के चलते आरक्षित सैनिकों को देश के अंदर भी कुछ जगह पर तैनात किया गया है जिसके चलते पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की कई घुसपैठों पर प्रतिक्रिया देने के लिए रिजर्व सैनिकों की सख्त कमी है। इधर भारतीय सेना में भी कई आंतरिक शीर्ष बदलाव किये जा रहे हैं।
वहीं कुछ सेवा सेवानिवृत्त रक्षा अधिकारीयों का कहना है कि यह एक प्रकार का भारतीय खुफिया परिचालन की विफलता है। इन लोगों का यह भी कहना है कि “चीनी हमेशा उत्तरी लद्दाख में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने वाले भारत के प्रति अति संवेदनशील रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अक्साई चिन से जुड़ता है, जिसके माध्यम से चीन ने अपने रणनीतिक पश्चिमी राजमार्ग का निर्माण किया है जो तिब्बत को झिंजियांग से जोड़ता है।” यह भी एक यक्ष प्रश्न है कि जब हमने इस क्षेत्र के माध्यम से 255 किलोमीटर DBDSO रोड का निर्माण किया था, तो इसकी रक्षा के लिए, विशेष रूप से गालवान घाटी में और श्योक के पूर्वी किनारे पर भारतीय सैनिकों की तैनाती क्यूँ नहीं हुई? तो क्यायह मान लिया जाए कि शायद लद्दाख को भारत खोने वाला है। कम से कम घटनाएं तो इसी तरफ इंगित कर रही हैं।