02/6/2020
केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन की जगह अनलॉक 1 की गाइडलाइन में अब कोरोना संक्रमण से बने हालात संभालने के लिए राज्यों को कमान सौंपी गई है। यानी अब राज्यों को फैसला करना है कि वो दूसरे राज्य से यात्रा की अनुमति देंगे या नहीं, या वो अपने राज्य में ही एक ज़िले से दूसरे ज़िले में सफ़र अनुमति देना चाहते हैं या नहीं।
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के पहले चरण की घोषणा की था तब उन्होंने ”किसी राज्य से इस पर सुझाव नहीं मांगा” ऐसे आरोप लगते रहे हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री पर आरोप भी लगाए कि उन्होंने बिना सोचे-समझे, बिना राज्यों से बात किए लॉकडाउन लागू कर दिया जिससे प्रवासी मज़दूरों को तो समस्या हुई ही, बाकी देशवासी भी इस वजह से फंस गए।
चौथे लॉकडाउन में ही यह संकेत दे दिया गया था कि अब आगे की ज़िम्मेदारी राज्यों की ही है। इसकी वजह यह भी रही है कि केंद्र सरकार के फ़ैसलों से राज्यों की असहमति लगातार दिखी है। राज्यों ने केंद्र से मदद की गुहार भी लगाई और प्रवासी मज़दूरों के मुद्दे पर भी केंद्र को घेरा। प्रवासी मज़दूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का फ़ैसला भी काफी देर से लिया गया।
अनलॉक 1 में केंद्र सरकार ने रेड ज़ोन के अलावा बाक़ी जगहों पर लगभग सभी प्रतिबंध हटाने का फ़ैसला लिया तो इस पर भी राज्यों की प्रतिक्रिया कुछ अच्छी नहीं रही।