उत्तर प्रदेश की स्थिति भयावह क्यों? सैय्यद अली तक़वी

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    आजादी का एक लम्बा वक्त बीत जाने के बाद एक सुखद एहसास होना चाहिए।जो आज नहीं है। बहुत चिंता की बात है। प्रति वर्ष हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इसलिए कि हम आजाद हैं। मगर आज क्या हो रहा है इसे समझने के लिए आज की स्थिति को समझना होगा। आज जनता आजादी मांग रही है। क्या हम 1947 से पहले के दौर में पहुंच गए हैं? क्या हमने अपने अधिकार खो दिए हैं? क्या उच्च पदों पर बैठे कुछ लोग 130 करोड़ लोगों की बात नहीं सुनेंगे? क्या करोड़ों लोगों पर चंद लोगों की बात थोप दी जाएगी? क्या संवेदना मर चुकी है?
    संविधान ने जो अधिकार दिए वो कहां हैं? अधिकारों का हनन क्यूं हो रहा है? लोगों को जेलों में क्यूं बंद किया जा रहा है? घरों में घुसकर महिलाओं को क्यूं मारा जा रहा है? सच लिखने पर कार्यवाही क्यों हो रही है? शांति पूर्ण प्रदर्शन पर लाठीचार्ज क्यूं हो रहा है? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिसका जवाब मिलना मुश्किल है। आज उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत भयावह है। लोगों के रोजगार ठप्प हो गये हैं।
    एन आर सी और कैब के नाम पर जो भी सरकार एवं प्रशासन की तरफ से हो रहा है वह चिंता का विषय है। शांति पूर्ण प्रदर्शन करना जनता का अधिकार है। मगर हो क्या रहा है पूरा देश देख रहा है। विपक्षी पार्टियां उत्तर प्रदेश में दम तोड़ चुकी हैं। अब जनता सड़कों पर उतर आई है।

    नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। इसके अलावा दिल्ली के साथ साथ और जगह भी इंटरनेट सेवा बंद की गई। इससे कितना नुक़सान हुआ किसी ने सोचा कि नहीं? शायद नहीं।
    इंटरनेट आम लोगों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है और इसकी सेवाएं बंद होने से न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हुई हैं और आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। कारोबार पर असर पड़ा। अपना रोजगार और कारोबार करने वालों का क्या हाल है? पहली तारीख को इनके पास तनख्वाह नहीं आती है। दिन भर कुआं खोद कर शाम को पानी मिलता है। सरकार और प्रशासन को यह सोचना चाहिए।
    इतनी हिंसा हुई क्यों? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यदि प्रशासन जनता को शांति पूर्ण प्रदर्शन के लिए सहयोग करता तो शायद प्रदेश की स्थिति ऐसी नहीं होती। मगर सरकार और प्रशासन की ज़िद के कारण देश एवं प्रदेश का नुक़सान हुआ।
    पुलिस प्रशासन के पास वह ताकत है कि अगर वह चाह ले तो भ्रष्टाचार और बदमाशी ख़त्म हो जाये। इसके लिए प्रशासन को दबाव मुक्त होकर कार्य करना होगा। जब संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभायेगा तो पूरा देश बर्बाद हो जाएगा। सरकार के लिए मानवाधिकार का पालन करना और कराना उसकी जिम्मेदारी है। प्रदेश में दमन प्रक्रिया सही नहीं है। जनता का दमन करने से जनता का विद्रोह सामने आता है। सरकार को बताना चाहिए कि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास में सबका से तात्पर्य क्या है। सरकार को अतीत से सबक लेना चाहिए। जनता का विश्वास जीतने की जरूरत है। हम सब भारतीय हैं, हम सब एक हैं। फिर यह मतभेद क्यूं? जनता, सरकार और प्रशासन सबको सोचना चाहिए?
    जय हिन्द।

    सैय्यद एम अली तक़वी
    ब्यूरो चीफ-दि रिवोल्यूशन न्यूज
    निदेशक- यूरिट एजुकेशन इंस्टीट्यूट
    उप निदेशक- स्पेशल क्राइम ब्यूरो, लखनऊ
    syedtaqvi12@gmail.com

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